शुक्रवार, 22 मार्च 2024

बहू ने बनाए होली के शानदार पकवान


 

बहू ने बनाए होली के 

शानदार पकवान

लेखकः- वीरेश दत्त माथुर

सोमवार को सुबह 5.30 बजे श्याम नगर में रहने वाली रतनी रेवी अपनी पड़ोसी ज्योत्सा के घर पर घंटी बजाती है। उधर से ज्योत्सा की आवाज आती है,क्या हुआ रतनी। सुबह-सुबह घंटी क्यों बजा रही हो। रतनी देवी कहती अरे तूझे याद नहीं है क्या आज 7 बजे मंदिर पहुंचना है। वहां फागोत्सव होने वाला है।

ज्योत्सा कहती है रतनी मैं तो भूल गई थी आज अपन को फागोत्सव में जाना है। चल कुछ देर बैठ मैं अभी तैयार होकर आती हूं। ज्योत्सा के घर के बाहर लॅान में रतनी देवी बैठ जाती है। उसी समय अखबार वाला अखबार डाल जाता है। रतनी देवी अखबार उठाकर पढ़ने लगती है। अखबार में खबरों पर निगाह डालते हुए रतनी देवी की नजर एक मिठाई के दुकान के विज्ञापन पर पड़ती है। विज्ञापन में लिखा होता है अब होली के स्वादिष्ट पकवानों की होम डिलीवरी जब चाहो तब। यह विज्ञापन देखकर रतनी देवी मन ही मन सोचती है देखों क्या जमाना गया है अब होली के त्यौहार के पकवान भी बाजार में बिकने लगे है। हमारे जमाने में तो हम खुद घर पर होली के पकवान बनाते थे।दूर-दूर से लोग हमारे हाथ के पकवान खाने होली पर घर आते थे।

इधर रतनी देवी होली के पकवान के बारे में सोच ही रही थी उधर ज्योत्सा अपने कमरे से बाहर आकर तेज आवाज लगाती है अरे रतनी कहां है। मैं तैयार होकर गई हूं। चल अपन अब मंदिर चलते है। फिर दोनों कॅालोनी के पास स्थित मंदिर पहुंच जाते है। मंदिर पहुंचने के बाद कॅालोनी के आसपास की बहुत सी महिलाएं उनको मंदिर में मिलती है। फिर मंदिर में आरती होती है, इसके बाद महिलाओं का फागोत्सव शुरू हो जाता है। फागोत्सव में अलग-अलग महिलाएं धार्मिक होली से जुड़े मस्ती भरे गीतों की प्रस्तुति देती है। कुछ महिलाएं होली के गीतों पर डांस करने लगती है। मंदिर में महिलाओं का फागोत्सव उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके बाद फागोत्सव के समापन पर मंदिर के गार्डन में चाय नाश्ते की व्यवस्था होती है, वहां फागोत्सव में भाग लेने वाली महिलाएं कुर्सियों पर एक गोल घेरे में बैठती है। फिर महिलाओं में आपसी बातचीत का दौर शुरू हो जाता है।

बातचीत में बोलते हुए रतनी देवी कहती है देखों बहनों आज मंदिर में फागोत्सव होने वाला है यह बात ज्योत्सा भूल ही गई। मैंने ज्योत्सा को घर पर जाकर जगाया तब़ यह फागोत्सव में पाई है। इस पर ज्योत्सा बोलते हुए कहती है हां रतनी में रात को होली के पकवान बनाने लग गई थी, इसलिए देर से सो पाई। इस कारण में फागोत्सव की बात भूल गई। ज्योत्सा द्वारा होली के पकवान बनाने की बात कहने पर राधे बोली ज्योत्सा दीदी आपने क्या क्या होली के पकवान बनाये है। ज्योत्सा ने बताया की मैंने गुजिया, लहसून की पपड़ी, मीठी चांदी, शक्कर पारे, दही बड़ा, कांजी बड़ा, मालपुआ, मोनथाल और नमकीन की सेव बनाई है।

महिलाओं की आपसी बातचीत में बोलते हुए कल्याणी ने कहां ज्योत्सा दीदी आपने होली पर इतने सारे पकवान खुद बनाएं है। वह कहती है हमारे घर पर तो पिछले कुछ सालों से होली के पकवान बनना ही बंद हो गए है। जब से हमारी नई बहू आई है तब से हमारे यहां तो बाजार से होली के पकवान आने लगे है। कल्याणी की बात टोकते हुए रश्मी बोल उठती है। आज घरों में नई बहुएं काम ही नहीं करना चाहती है। बहुएं त्यौहार पर पकवान बनाना छोड़ो घर पर रोज की रोटियां भी नहीं बनाती है। वह कहती है आज जिधर भी देखों घर में बहुएं मोबाइल पर बिजी नजर आती है। ज्यादातर घरों में रोटी-सब्जी तो बाहर से बाई आकर बनाती है।

बातचीत में बोलती हुए गोमती कहती है हां बहन आज की मॉर्डन बहुएं ने तो घर-घर का माहौल बिगाड़ दिया है। आज बहुएं घर का कामकाज तो करना ही नहीं चाहती है बस काम के लिए कहो तो तुरंत मुंह फुला कर बैठ जाती है। वह कहती है मेरी बहू कामकाजी है इस कारण वह साफ कहती है मैं तो घर का काम नहीं करूंगी। गोमती की बात सुनते हुए मीना देवी कहती है हमारे जमाने मै भी टीचर की नौकरी करती थी और स्कूल जाने से पहले और स्कूल से आने के बाद सारा घर का काम करती थी। उस समय तो हम घर पर झाडू पोछा लगाने से लेकर संयुक्त परिवार के 15 से अधिक लोगों की रोटी-सब्जी भी खुशी-खुशी बनाते थे। वह कहती है उस समय सासू मां जो हमें कहती थी वह काम हम सासू मां का आर्शीवाद मानकर करते थे। मैंने सालों होली पर खुद अपने हाथ से होली के पकवान बनाये है।

मीना बहन तुम ठीक कह रही हो आज की नई लड़कियां दिखावे में ज्यादा रहती है। मोहिनी बाई बोलते हुए कहती है। आज हमारी बहू तो रसोई में जाकर झांकती भी नहीं है। वह हमेशा बाहर से खाना आर्डर कर मंगवा लेती है। आज भी मैं ही घर पर खाना बनाती हूं। फागोत्सव में महिलाओं की बातचीत में बहुएं की आलोचना सुनकर अंजना भड़क जाती है। वह बोलती हुए कहती है मीना बहन सारी बहुएं खराब नहीं होती है। आफिस के कामकाज और तनाव के कारण आज नई लड़कियां थोड़ा थक जाती है, इसलिए रिलेक्स रहने के कारण कभी-कभी बाहर से खाना मंगा लेती है। वह कहती है मेरी बहू तो हमेशा रसोई का काम करती है, वह तरह-तरह की डिश बनाकर हमें खिलाती है। वह कहती है आज जो सासू मां जमाने के साथ नहीं बदली है उनके साथ ही नई बहू का तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। आज जो सासू मां अपनी बहू को बार-बार टोकती है उसकी बहू सासू मां से खफा रहती है। अंजना बोलते हुए कहती है आज नई लड़कियां समझदार और जागरूक है उन्हें जिम्मेदारियों का अहसास है। नई लड़कियों को आज आजादी से जीने देना चाहिए। अंजना की बात सुनकर द्रौपदी कहती है फागोत्सव की चाय पार्टी में क्या बहुएं की चर्चा छेड़ दी। चलों अब गर्मा गर्म पकौड़ी गई है। इसकों खाने का आनंद उठाओं और होली का त्यौहार कैसे बनाना है इस पर बात करों।

          फागोत्सव की चाय पार्टी में पकौड़ी खाते हुए राधिका बोलती है होली पर तो मिल बैठकर पकवान खाने का मजा ही अलग है। आप सब होली पर मेरे घर आना मैं आपको मेरी बहू के हाथ से बनाए होली के पकवान खिलाऊंगी फागोत्सव की चाय पार्टी में उपस्थित सभी महिलाएं राधिका को हां भरती है और कहती है इस बार हम होली पर तेरे घर होली के पकवान खाने जरूर आएंगे। इसी बातचीत में कल्पना सभी महिलाओं से कहती है मैं कॅालोनी के व्हाट्सएप ग्रुप पर यह मैसेज डाल देती हूं कि इस बार होली पर राधिका की बहू के हाथ से बने पकवान कॅालोनी की सभी महिलाएं खाएंगी। इसके बाद कल्पना व्हाट्सएप ग्रुप पर सभी को मैसेज कर देती है। इस व्हाट्सएप ग्रुप से कॅालोनी की सभी सासू मां और सभी बहुएं जुड़ी हुई है।

फिर फागोत्सव की चाय पार्टी खत्म हो जाती है तथा सभी महिलाएं अपने-अपने घर पहुंच जाती है। कुछ समय बाद जैसे ही कॅालोनी के व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज पहुंचता है कि राधिका की बहू के हाथ के पकवान खाने होली पर कॅालोनी की महिलाएं आएंगी। व्हाट्सएप ग्रुप पर हलचल शुरू हो जाती है। इसके बाद कॅालोनी की एक बहू गीतिका कॅालोनी की अन्य बहू सलोनी को फोन कर कहती है। तूने व्हाट्सएप पर मैसेज देखा है। राधिका आंटी की बहू होली के पकवान बनाने के कारण कॅालोनी में लोकप्रिय हो गई है। इस पर सलोनी कहती है यह तो अच्छी बात है। हमें भी होली पर कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे कॅालोनी के बड़े-बुजुर्गो को अच्छा लगे।

फिर कॅालोनी की बहुएं गीतिका सलोनी कॅालोनी की अन्य बहुएं को फोन कर कॅालोनी के बाहर एक जगह एकत्रित होने के लिए बुलाती है। कुछ समय बाद कॅालोनी की सभी बहुएं एक जगह एकत्रित होती है। फिर सब मिलकर होली पर धमाल मचाने का प्लान बनाते है। इसी बातचीत में कॅालोनी की एक बहू सोनम कहती है मैंने आजतक होली के पकवान नहीं बनाएं। कॅालोनी की अन्य बहू कृतिका भी कहती है मैं भी अपने हाथ से होली के पकवान बनाकर सासू मां को खिलाना चाहती हूं। इसके बाद कॅालोनी की बहुएं राधिका आंटी की बहू को कॅालोनी के बाहर एक जगह बुलाती है तथा होली के पकवान बनाने के बारे में जानती है। फिर राधिका आंटी की बहू कॅालोनी की बहुएं को होली के पकवान गुजिया, लहसून की पापड़ी, बेसन की सेव, मोनथाल, मैदा के सलोने, ड्योठे, शक्कर पारे तथा मावे की मिठाई आदि होली के पकवान बनाना सिखाती है। कुछ कॅालोनी की बहुएं यू-ट्यूब अन्य सोशल मीडिया मंच से होली के पकवान बनाना सीखते हुए नये-नये पकवान बनाती है।

एक जगह पर एकत्रित होकर होली के पकवान बनाने के दौरान कॅालोनी की बहुएं को आपस में बहुत मजा आता है। आपसी बातचीत में मेघना कहती है मैने पिछले साल बेकार में ही बाजार से होली के पकवान घर पर मंगाकर सासू मां को नाराज किया। वह कहती है बाजार के होली के पकवान तो स्वादिस्ट होते है ये असली घी,तेल मसाले से बने होते है। बाजार के पकवान खाने से तबियत खराब होने की चिंता हमेशा सताती रहती है। बातचीत में कॅालोनी की बहू मंजू कहती है मेरी सासू मां सही कहती है घर के होली के पकवान का स्वाद ही अलग होता है। अब मैं होली के पकवान बनाना सीख गई हूं। अब मैं हमेशा होली पर अपने हाथ से पकवान बनाउंगी। इसके बाद कॅालोनी की बहुएं एक निश्चित स्थान पर आपस में मिलजुल कर होली के तरह-तरह के पकवान बना लेती है।

फिर कॅालोनी की बहू सलोनी होली की सुबह-सुबह कॅालोनी के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज डालती है। इस बार किन्ही कारणों से राघिका आंटी के घर पर होने वाला होली के पकवान खाने खिलाने का कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है। लेकिन इस बार कॅालोनी की बहुएं सामूहिक रूप से कॅालोनी के गार्डन में तिलक होली महोत्व आयोजित कर रही है। इस कार्यक्रम में कॅालोनी के सभी व्यक्ति सादर आमंत्रित है।

तिलक होली महोत्व कार्यक्रम का मैसेज व्हाट्सएप पर जैसे ही कॅालोनी के अन्य लोगों के पास पहुंचता है। कॅालोनी में हलचल शुरू हो जाती है। कॅालोनी की एक सासू मां कमला मैसेज पढ़कर तुरंत कहती है ना जाने अब बहुएं क्या करने वाली है। हमारे होली के पकवान खाने के कार्यक्रम में भी इन्होंने अडंगा डाल दिया है। अब कौन हमें होली के पकवान खिलाएंगा। एक अन्य कॅालोनी की सासू मां बिमला देवी कहती है नई बहुएं को होली के पकवान बनाना तो आता नहीं इन्हें कोई घर के बने पकवान खिलाये यह भी इन्हें पसंद नहीं है। वह कहती है अब ना जाने तिलक होली महोत्व में क्या होगा। बहुएं यदि कार्यक्रम में कुछ खिलाएंगी तो पास्ता, बर्गर, पिज्जा, पेस्टी आदि ही खुद खिलाएगी। अब तो बहुएं का ही राज है। चलो चलकर देखते है तिलक होली महोत्सव में क्या होता है।

इसके बाद होली के दिन निश्चित समय पर धीरे-धीरे कॅालोनी के बड़े-बुजुर्ग, सासू मां तथा बच्चे कॅालोनी के गार्डन में एकत्रित होने लगते है। फिर कॅालोनी की बहुएं तिलक होली महोत्व शुरू करती है। गार्डन में उपस्थित सभी लोगों को गुलाल का टीका लगाया जाता है। इसके बाद बच्चे अलग-अलग सांस्कृतिक प्रस्तुति देते है। कॅालोनी की बहुएं की टीम प्राचीन लोक गीतों की मनमोहक प्रस्तुति देती है।

फिर अचानक स्टेज पर एक बहुत बड़ा होर्डिंग लगाया जाता है। जिस पर लिखा होती है होली की सबको रामराम। अब आप खाइएं कॅालोनी की बहुएं के हाथ के बने होली के पकवान। यह होर्डिग देखकर कॅालोनी के बड़े बुजुर्ग कॅालोनी की सासू मां आश्चर्य चकित रह जाती है। फिर शुरू होता है एक स्लाइड शो इसमें कॅालोनी की बहुएं ने किस प्रकार अपनी मेहनत से होली के पकवान बनाए है इसे फोटोग्राफ वीडियोग्राफी के जरिए दिखाया जाता है।

इसके बाद गार्डन में उपस्थित लोगों को होली के पकवान गुजिया, लहसून की पापड़ी, बेसन की नमकीन, मोनथाल, शक्कर पारे, मालपुआ, दही बड़ा, कांजी बड़ा आदि सर्व की जाती है। लोग बड़े चाव से होली के पकवान खाते है।

इसी बीच कार्यक्रम में खड़े होकर कॅालोनी के सबसे बड़े बुजुर्ग शिवनारायण कहते है बहुत सालों बाद मैं होली पर घर के बने पकवान खा रहा हूं। सभी पकवान बड़े स्वादिष्ट और लाजवाब बने है। मैं कॅालोनी की सभी बहुएं को इस नेक काम के लिए मुबारकबाद देना चाहता हूं।

इसके बाद बोलते हुए कॅालोनी की सासू मां ज्योत्सा ने कहां वास्तव में कॅालोनी की बहुएं ने सामूहिक रूप से होली के पकवान बनाकर सराहनीय प्रशंसनीय कार्य किया है। होली के सभी पकवान वास्तव में लाजवाब बने है। ज्योत्सा की बात कहने के बाद सभी जने जोर-जोर से तालियां बजाते है। इसके बाद कॅालोनी की सभी बहुएं एक साथ मंच पर उपस्थित होकर सभी को धन्यवाद देती है। कॅालोनी की बहू सलोनी कहती है होली उमंग और उल्लास का त्यौहार है इसे हम सब को मिलजुल मनाया चाहिए।

इसके बाद होली पर मस्ती भरे गीतों का डांस शुरू हो जाता है। कॅालोनी की सासू मां और बहुएं एक दूसरे पर गुलाल लगाती है और रंग बरसे गीत पर थिरकने लगती है।

फिर तिलक होली महोत्सव का समापन होता है। कॅालोनी की बहुएं बाकी बचे हुए पकवान अपने-अपने घर ले जाती है। इसके बाद कॅालोनी के व्हाट्सएप ग्रुप पर कॅालोनी की सासू मां गोमती देवी पोस्ट करती है बहू ने बनाए होली के शानदार पकवान। इसे तेजी से लोग लाइक करने लगते है।

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वीरेश दत्त माथुर, 119/126, मानसरोवर, जयपुर