गुरुवार, 3 नवंबर 2022

आलसी लोगों की जय हो


                                                                      

आलसी लोगों की जय हो

     आलसी लोगों की जय हो। सोमवार है सप्ताह का सबसे खराब दिन। जब से यह खबर आई है, आलसी लोगों के चेहरे खिल उठे है। लगता है अब सरकारी कार्यालय में सोमवार को तो कोई भी काम नहीं होगा। वैसे भी सप्ताह के कौनसे दिन सरकारी कार्यालय में काम होता है इसका पता अभी तक कोई भी नहीं लगा पाया है।

       अब जब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॅार्ड ने सोमवार को सप्ताह का सबसे खराब दिन घोषित कर दिया है तो ऐसे में अब सोमवार को सरकारी कार्यालय में काम हो जाएगा यह बात सोचना मूर्खतापूर्ण बात है। अब सोमवार के साथ आलसी लोग मंगलवार को भी काम कर ले गनीमत रहेगी।

       असल में सोमवार, शनिवार और रविवार की दो छुट्टियों के बाद आता है। इस दिन लोग दफ्तर या अन्य काम पर जाने में आलस्य महसूस करते है। इसी कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॅार्ड ने सोमवार को सप्ताह का सबसे खराब दिन की घोषणा की है। आलसी लोग तो अब कहने लगे है ये घोषणा तो बहुत पहले हो जानी चाहिए थी।

       वैसे आलसी लोगों के काम नहीं करने के अनेक बहाने है। हमारे यहां आप किसी भी सरकारी कार्यालय में चले जाइए। टाइम पर ऑफिस पहुंचने वाले बहुत कम कर्मचारी मिलेगे। आज गांव -देहात के सरकारी कार्यालय में तो टाइम पर ऑफिस का मेन गेट का ताला भी नहीं खुलता है। आज लेट लतीफी हमारे यहां सरकारी कर्मचारियों ने जन्म सिद्ध अधिकार मान लिया है। इसलिए बहुत से सरकारी कार्यालय में टाइम पर कर्मचारी नहीं पहुंच रहे है।

       आलसी कर्मचारियों द्वारा ऑफिस में देर से आने के बहाने तरह-तरह के होते है। बहुत से कर्मचारी अपने वाहन का टायर पंचर हो गया था इसलिए लेट हो गया का बहाना बनाते है, कोई कर्मचारी ट्रैफिक जाम में फंस गया था इसलिए काम पर देर से आने की बात करता है, कोई कर्मचारी अचानक मां की तबीयत खराब हो गयी थी इसलिए देर से आने की दुआई देता है तो कुछ कर्मचारी पत्नी ने टाइम पर लंच नहीं बनाकर दिया इसलिए कार्यालय में देर से आने का कारण बताता है।

       सरकारी कार्यालय में काम तो हाथी की चाल से ही होता है। फाइल पर अधिकारी के सिर्फ एक साइन होने के लिए महिनों लग जाते है। महिनों तक टिप्पणी पर टिप्पणी फाइलों में चलना अब आम बात हो गई है। सरकारी कार्यालय में आज कई कर्मचारी मौसम के अनुसार काम करते है। मौसम सही और खुशमिजाज है तो कई कर्मचारी अपनी टेबिल पर पहुंच कर काम निपटाने लग जाते है। लेकिन मौसम में तल्खी है तो कर्मचारी ठंडी हवा में बैठकर गपशप कर पूरा दिन निकाल देते है।

       कुछ कर्मचारी मनपसंद पेन नहीं होने, पत्नी से झगड़ा होने के चलते और अपने साथी कर्मचारी से मनमुटाव के चलते कई दिनों तक ऑफिस में काम ही नहीं करते है। आज जनसमस्या की फाइलों के अंबार कार्यालय में लग गये है, लेकिन फाइले आगे खिसक रही है कोई हरकत हो रही है।

   आलसी लोगों की संख्या आजकल सरकारी कार्यालय में बढ़ती जा रही है। आज सरकारी कार्यालय में काम नहीं के बराबर हो रहा है। आज सरकारी कार्यालय में काम के नाम पर सिर्फ गप्पे और बेनतीजा बहसे हो रही है। आज सरकारी ऑफिस में काम कराने वाले व्यक्ति को लोग चैम्पियन मानने लगे है।

     हालांकि आज आलसी लोग सरकारी कार्यालय में ही है ऐसा नहीं है। अब तो प्राईवेट सेक्टर में भी आलसी लोगों की फौज इक्कठी हो रही है। हर जगह आलसी लोगों की आपसी दोस्ती भी बहुत जल्दी हो जाती है। आलसी लोगों के काम नहीं करने के मजेदार बहाने होते है। स्कूल नहीं जाने की इच्छा रखने वाले या कॅालेज, यूनिवर्सिटी से जी चुराने वाले आलसी स्टूडेन्ट भी शिक्षण संस्थान नहीं जाने का मजेदार बहाना बनाकर पैरेन्ट को मूर्ख बनाते है।

   बहुत से आलसी बच्चों को तो स्कूल जाने के टाइम से  पांच मिनट पहले ही पेट में दर्द होता है। स्कूल खुलने के समय के बाद ऐसे बच्चों के पेट का दर्द बिना दवा के जादू से छू मंतर हो जाता है।

    अब तो आलसी लोगों ने हमारे यहां पूरे सिस्टम को आलसी बना दिया है। जो आदमी पहले मेहनत से कार्यालय में काम करता था वो अब आलसी लोगों को देखकर आलसी बनता जा रहा है। अब घर पर काम करने वाली बाई से लेकर कंस्ट्रक्शन पर लगे मजदूर तथा मैकेनिक से लेकर बडे-बड़े प्रोजेक्ट के इंजीनियर भी अपने आलसी रवैये के चलते काम करने में लेट लतीफी दिखाने लगे है।

       राजनेताओं की जमात तो सबसे ज्यादा आलसी होती जा रही है। आज चुनाव से पहले ही नेता अपने क्षेत्र का दौरा करते है। इसके बाद  पांच साल तक कई नेता अपने क्षेत्र में जाते ही नहीं है। इसलिए कई बार जनता अपने नेताओं के लापता होने के पोस्टर क्षेत्र में लगवाने लगी है।

       वैसे आलसी लोगों की दुनिया दिलचस्प और रोचक है। ऐसे लोग किसी के कहने से भी नहीं सुधरते है। बल्कि दिन-प्रतिदिन अपने काम के प्रति ज्यादा आलसी होते जाते है। आलसी लोगों का हमेशा मानना होता है कि जब बिना काम के वेतन मिल जाता है तो काम क्यों करना है।

      यूं तो आलसी कर्मचारियों को सुधारने के लिए प्रशासन कई बार सख्त आदेश निकालता है। कई कार्यालय में उपस्थिति के लिए बायोमैट्रिक मशीन लगाई जाती है, कई जगह टाइम पर काम करने के लिए ऑनलाइन फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाता है। लेकिन ये सभी आदेश कुछ समय बाद हवा हवाई ही नजर आते है। आलसी लोग तो इन आदेशों का भी तोड़ निकाल कर कार्यालय में आराम ही फरमाते है।

     लगता है आलसी लोगों ने अब कम्प्यूटर रोबोट को भी आलसी बना दिया है तभी तो हॅाल ही में यूनाइटेड किंगडम की संसद में बोलने वाली रोबोट बोलते-बोलते सो गई। अब देखते जाइए आलसी लोग क्या-क्या करने वाले है।


कोई टिप्पणी नहीं: