कहानी
पॅाडकास्ट वाली परी
वीरेश दत्त माथुर
तीन साल तक अमेरिका के न्यूयॅार्क शहर की यूनिवर्सिटी से मैनेजमेन्ट की पढ़ाई पूरी करने के बाद गुडगांव की होनहार लड़की परी जब न्यूयॅार्क एयरपोर्ट पर पहुंचती है, तो धर वापस लौटने की खुशी से उसके चेहरे पर आंसू छलक पड़ते है। वह एयरपोर्ट पर चैकिंग प्रकिया से गुजरने के बाद न्यूयॅार्क से दिल्ली के लिए हवाई जहाज में बैठती है। थोडी देर में हवाई जहाज की सीट पर बैठे बैठे परी आंख बंद करती है और अतीत की सुनहरी यादों की दुनिया में चली जाती है। यादों में उसे अपने गुडगांव की गलियों और पगडंगियों के मनोहारी दृश्य नजर आते है। फिर उसे नींद आ जाती है।
अचानक प्लाइट में अनाउंसमेन्ट होता है और उसकी आंख खुलती है। वह खिड़की से बाहर अपने देश की घरती को देखती है और भारत माता की जय का जयकारा उसके मन में गूंज उठता है। जब वह दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बाहर आती है । फिर कार से अपने घर गुडगांव पहुंचती है।
कार से उतरकर परी सबसे पहले पिता रितेश के पैर छूती है और अपनी मां भारती को प्रणाम कर उनके गले लग जाती है। घर के अन्य रिश्तेदारों से अभिवादन के बार परी घर में प्रवेश करती है। फिर घर के सभी लोगों के साथ गोल धेरे में बैठकर अपने साथ लाई बैंग को खोलती है। अमेरिका से रिश्तेदारों के लिए लाई सामान को एक एक कर सभी को बाटती है।
घर के बूढे-जवान सभी लोग परी द्वारा उनके लिए लाए सामान को लेकर खुश होते है, उसे और तरक्की करने की दुआएं देते है। परी अपने तीन साल के न्यूयॅार्क और अमेरिका के प्रवास के अनुभव के किस्से रिश्तेदारों को बताती है। सब परिवारजन परी की बहुत तारीफ करते है। परिवार के बड़ों से बातचीत करते हुए परी कहती है। मैने विदेश में रोजगार व स्वरोजागर के विभिन्न कोर्स की जानकारी ली है। मैं अब अपने गांव की लड़कियों को स्वरोजगार और रोजगार से जोड़ने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाउंगी।
कुछ दिनों बाद परी अपने घर पर स्किल डवलपमेन्ट का हाईटेक ट्रेनिंग सेन्टर खोलती है। इसमें गांव की विभिन्न लड़कियों को अनेक क्षेत्रों में स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाता है। धीरे-धीरे गांव की बहुत सी लड़किया अनेक क्षेत्रों में ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़कर अपना स्वरोजगार करने लगती है।
इस बीच परी सोशल मीडिया पर अपना खुद का पॅाडकास्ट शुरू करती है। इसमें वो स्किल ट्रेनिंग सेन्टर पर ट्रेनिंग लेने वाली लड़कियों की सफलता की कहानियों को रोचक और आकर्षक अंदाज में प्रस्तुत करती है। देखते ही देखते परी का पॅाडकास्ट सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हो जाता है। लाखों लाइक परी को मिलने लगते है।
एक दिन परी की निगाह अखबार के एक विज्ञापन पर पड़ती है जिसमें पॅाडकास्ट बनाने वालों से टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो में भाग लेने के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती है। परी भी उस कॅाम्पीटिशन के लिए अपनी प्रविष्ठि भेज देती है। कुछ दिनों बाद परी को क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो में भाग लेने का प्रस्ताव मिल जाता है।
इधर परी मन ही मन क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो में भाग लेने को लेकर खुश हो रही होती है। वह गांव के सभी लोगों को टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो में भाग लेने को मिले ऑफर के बारे में बताती है। धीरे-धीरे यह बात आस-पास के बहुत से लोगों को मालूम होती है। सभी जने परी को बधाई देते है। कुछ कहते है वास्तव में परी के पॅाडकास्ट में दम है यह रियलिटी शो की विजेता बनेगी। इधर परी रोज दमदार स्क्रिप्ट के साथ पॅाडकास्ट बनाने की अपनी प्रेक्टिस शुरू कर देती है।
एक दिन परी अपने गांव के एक रास्ते का चौराहा पार कर रही होती है कि अचानक सामने से आते ट्रक से उसकी टक्कर हो जाती है वो उछल कर दूर जा गिरती है तथा वहां बेहोश हो जाती है। इस बीच सड़क से गुजरने वाली एम्बुलेन्स के स्वास्थ्यकर्मी परी को नजदीक के हॅास्पिटल पहुंचाते है। वहां आई.सी.यू में परी का ऑपरेशन होता है।
अगले दिन जब परी की आंख खुलती है तो वह अपने आप को अस्पताल में पाती है तथा दाएं पैर पर प्लास्टर उसके बंधा होता है। वह बोल पड़ती है ये मुझ़े क्या हुआ। पास ही खड़ी परी की मां उसे दुर्धटना की सारी दास्तान सुनाती है और कहती है शुक्र है तुम सही हो। फिर परी अस्पताल में दुःखी होकर रोने लगती है वह कहती है मुझे टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले क्र्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो में भाग लेने का मौका मिला था। अब इस दुर्धटना के कारण मुझे टेलीविजन के प्रोग्राम में मौका नहीं मिलेगा। वह बहुत उदास हो जाती है। परी के पापा रितेश उसे ढं।ढस बंधाते है कहते है परी तूं उदास मत हो तूं जल्दी ठीक हो जाएगी और किएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो में भाग लेगी ।
पापा की हौसला अफजाई से परी में फिर से चेतना का संचार हो जाता है और वो टेलीविजन के शो में कैसे बेस्ट परफॅार्म करना है इसके बारे में सोचने लगती है। । कुछ समय बाद अस्पताल से परी को छुट्टी मिल जाती है। वह घर पहुंचकर पॉडकास्ट बनाने का अभ्यास तेज कर देती है।
कुछ समय बाद क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो की शूटिंग का रविवार आ जाता है। परी अपनी मां के साथ इस शो में भाग लेती है। इस शो में देश के विभिन्न राज्यों से अन्य प्रतियोगी भी शामिल होते है। इस शो में पांच अलग-अलग राउण्ड होते है। इन राउण्ड में प्रतियोगियों को पॅाडकास्ट के अलग-अलग पहलुओं पर अपनी प्रस्तुति जज के सामने प्रस्तुत करनी होती है। जज पॅाडकास्ट के सब्जेक्ट और आवाज के प्रस्तुतिकरण के हिसाब से प्रतियोगियों को अंक देते है। यह शो पूरे देश में लोग टेलीविजन पर लाइव देखते है।
इस शो में परी ने पांचो राउण्ड में अलग-अलग अंदाज में पॉडकास्ट के विभिन्न पहलुओं को जज के सामने प्रस्तुत किया। जब परी अंतिम राउण्ड में अपने गांव के स्किल डवलपमेन्ट की लड़कियों की कहानियां प्रस्तुति कर रही होती है तो उसकी दमदार प्रस्तुति देखकर उपस्थित जनता अभिभूत हो जाती है तथा सभी दर्शक खड़े होकर तालियां बजाकर परी का अभिवादन करते है। इसके बाद क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो का फाइनल परिणाम स्क्रीन पर दिखता है। इसमें परी को प्रथम विजेता घोषित किया जाता है।
इसके बाद जब एंकर परी को बोलने के लिए कहते है तो परी बोलते हुए कहती है मेरी बचपन से स्टेज पर बोलने में रूचित रही है। एंकरिंग करना मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है। मैं मन से किसी भी चीज को प्रस्तुत करती हूं। मैंने अपने गांव की लड़कियों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अपने गांव में स्किल डवलपमेन्ट का ट्रेनिंग सेन्टर खोला। इससे प्रशिक्षित होकर आज गांव की बहुत सी लड़किया अपना खुद का स्वरोजागर चलाकर आत्मनिर्भर बन गई है। मैंने गांव की लड़कियों की सफलता की कहानियों को पॅाडकास्ट में उनके अंदाज में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। ये गांव की लड़कियों की दुआएं है जिसने मुझे इतना बड़ा मंच और यह पुरस्कार दिलाया है।
इसके बाद रियलिटी शो के डायरेक्टर कहते है हॅा ये हुनरमंद परी क्रिएटिव पॅाडकास्ट रियलिटी शो की विजेता है, ये ही पॅाडकास्ट वाली परी है।
वीरेश दत्त माथुर, 119 /126, मानसरोवर,जयपुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें