शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

जन औषधि केन्द्र पर जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से सस्ती मिल रही है

 


      जन औषधि केन्द्र पर जेनरिक दवाएं

ब्रांडेड दवाओं से सस्ती मिल रही है

               लेखक:- वीरेश दत्त माथुर

आज आम आदमी पर से दवाईयों के खर्च का बोझ कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों में जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे है। जहां आमजन को जेनरिक दवाइयां सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाई जा रही है।

जन औषधि केन्द्र पर जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 50 से 90 फीसदी तक सस्ती मिल रही है। आज भारत सरकार द्वारा जेनरिक दवाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार के अलावा अनेक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।


    वर्तमान में देश के अनेक राज्यों में जून तक 8742 जन औषधि केन्द्र खोले गए है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1175 जन औषधि केन्द्र है, जबकि केरल दूसरे नम्बर पर है यहां 990 जन औषधि केन्द्र खोले गए है। इसके बाद कर्नाटक में 942 और तामिलनाडु में 845 जन औषधि केन्द्र खोले गए है। बिहार में 300 जन औषधि केन्द्र है जबकि मध्यप्रदेष में 253 और राजधानी दिल्ली में 382 जनऔषधि केन्द्र खोले गए है। पंजाब में 307 तथा राजस्थान में 137 जन औषधि केन्द्र खोले गए है।

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का शुभारंभ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को किया गया था। जन औषधि योजना का मकसद देश के लोगों को कम कीमत पर गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध करवाना है। इस योजना के संचालन की जिम्मेदारी फार्मास्यूटिकल्स एण्ड मेडिकल डिवाइस ब्यूरो आफ इंडिया के पास है।


    देश में आज जेनरिक दवाईयों के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है। आज केन्द्र सरकार की और से संचालित जन औषधि केन्द्रों की बिक्री लगातार बढ़ती जा रही है। देश के अनेक राज्यों में स्थापित जन औषधि केन्दों पर आज विभिन्न तरह की जेनरिक दवाइयां, सर्जिकल उत्पाद, पौष्टिक औषधीय उत्पाद, आयुष उत्पाद आदि मिलते है।

आम लोगों को किफायती दर पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार ने 2024 तक देश में जन औषधि केन्द्रों की संख्या 10 हजार तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।

आज देश में जन औषधि योजना के तहत भारत सरकार द्वारा आम जन को बेहतर क्वालिटी वाली जेनरिक दवाइयां बाजार रेट से कम कीमत पर दी जा रही है। इसके चलते बहुत से लोग आज जेनरिक दवाईयों का इस्तेमाल करने लगे है।


   आमतौर पर जेनरिक दवाएं उन दवाओं को कहा जाता है जिनका कोई अपना ब्रांड नेम नहीं होता है, वह अपने सॅाल्ट नेम से मार्केट में जानी-पहचानी जाती है। जेनरिक दवाइयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की ब्रांडेड दवाईयों से कम नहीं होती तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्राण्डेड दवाइयां यहां तक कि उनकी मात्रा (डोज), साइड-इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्राण्डेड दवाओं के जैसे ही होते हैं।

जेनरिक दवा ब्राण्डेड दवाओं से सस्ती होती है, इसका इस्तेमाल कर व्यक्ति दवाओं पर होने वाले खर्च को कम कर सकता है। एक ही कम्पनी की पेटेंट और जेनरिक दवाओं के मूल्य में काफी अंतर होता है। चूंकि जेनरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण पर सरकारी अंकुश होता है अतः वे सस्ती होती हैं,जबकि पेटेंट दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं,इसलिए वे महंगी होती है।


    जेनरिक दवा बिना किसी पेटेंट के बनाई और वितरिक की जाती हैं यानी जेनरिक दवा के फॉर्मूलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसकी सामग्री पर पेटेंट नहीं हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय मानकों से बनी जेनरिक दवाइयों की गुणवत्ता ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होती है। जेनरिक दवाओं का असर, डोज और इफेक्ट्स ब्राण्डेड दवाओं की तरह ही होते हैं।

जेनरिक दवाइयां बड़े स्तर पर मार्केटिंग, प्रमोशन और सेलिंग स्ट्रेटजी के बगैर साधारण तरीकों से बेची जाती हैं। ऐसा होने से इन दवाईयों की कीमतों पर काफी प्रभाव पड़ता है, जिससे इनकी कीमतें अन्य ब्रांडेड दवाईयों की तुलना में काफी सस्ती हो जाती है। इसके अलावा जेनरिक दवाईयों के लिए विशेष और ब्रांड विशिष्ट  पैकेजिंग की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए ये दवाइयां और भी सस्ती है और सभी लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।


    जेनरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। आज प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत हॅास्पिटल, चेरिटेबल ट्रस्ट, मेडिकल प्रैक्टिसन, फार्मस्टिक, एन.जी. तथा डॅाक्टर आदि को जन औषधि केन्द्र के संचालन का कार्य दिया जा रहा है।

देश में जेनरिक दवाईयों के प्रचार-प्रसार के लिए आज भारत सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे है। हमारे यहां आमजन में आज जन औषधि केन्द्र लोकप्रिय हो  रहे है। आज देश में जन औषधि केन्द्रों पर मिलने वाली जेनरिक दवाइयां काफी सस्ती है। आम व्यक्ति जन औषधि केन्दों से जेनरिक दवाईयों लेकर  काफी बचत कर सकता है।

              वीरेश दत्त माथुर, 119/126, मानसरोवर, जयपुर


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