ट्यूशन का बढ़ रहा है चलन
लेख- वीरेश दत्त माथुर
भारत
में आज बच्चों को ट्यूशन
पर भेजने का चलन बढ़ता जा रहा है। हमारे यहां
आज शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी बहुत बड़ी संख्या में ट्यूशन
व कोचिंग सेन्टर खुल गए है। कोरोना के चलते देश
में आज ट्यूशन
को बढ़ावा मिला है। ऑनलाइन
कोचिंग
ने तो देश
में रिकॅार्ड वृद्धि
की है।
आज
भारत में हर स्तर की परीक्षा के लिए ऑनलाइन
ट्यूशन और कोचिंग इंस्टिट्यूशन
जगह-जगह खुल गए है। अब बहुत से विधार्थी घर बैठे ही लैबटॅाब व मोबाइल के जरिए ऑनलाइन
ट्यूशन ले रहे है और परीक्षा की तैयारियां कर रहे है। आज कई ऑनलाइन
ट्यूशन सेन्टर तो विधाथिर्यो को एडमिशन
देने के लिए अनेक ऑफर
दे रहे है। देश
में आज ऑनलाइन
ट्यूशन का कारोबार दिन दुनी रात चोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है।
ऑनलाइन ट्यूशन और
कोचिंग
पर निगरानी करने वाली संस्था टेक्नॅाविओ की हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऑनलाइन
ट्यूशन व कोचिंग कारोबार रिकॅार्ड 15.96 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है जो 2025 तक 14.76 अरब डॅालर होने का अनुमान है। आज ट्यूशन या कोचिंग का कारोबार भारत ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी तेजी से बढ़ रहा है। ग्लोबल प्राइवेट ट्यूटरिंग रिपोर्ट 2022 के अनुसार कोरोना
संकट के बीच वर्ष 2020 में निजी ट्यूशन
का वैश्विक कारोबार 123.8
अरब डॅालर था जिसके 8.4 फीसदी वृद्धि
के साथ वर्ष 2026 में 201.8 अरब डॅालर होने की संभावना है।
भारत
में आज ट्यूशन
का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। बेहतर नतीजों और आगे बेहतर संस्थानों में दाखिले के लिए आज निजी ट्यूशन
छात्र
जीवन का एक अहम हिस्सा बन गए है। माता-पिता आज अपने बच्चों को सीखने की जरूरतों को पर्याप्त पूरा करने के लिए निजी ट्यूशन
में दाखिला दिला रहे है।
हमारे
यहां
कुछ अभिभावक आज बच्चों को मजबूरी में ट्यूशन
पर भेज रहे है, क्योंकि वे अपने बच्चों का होमवर्क पूरा नहीं करवा पा रहे है। बहुत से अभिभावक बच्चों की शैक्षिक बुनियाद मजबूत करने के लिए ट्यूशन
पर भेज रहे है। वैसे ट्यूशन
के प्रति लोगों में बढ़ रहे आकर्षण का मुख्य कारण स्कूली शिक्षा
का कमजोर होना माना जा रहा है।
आज
हमारे
यहां आई.आई.टी, आई.आई.एम और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश
आसानी
ने नहीं मिलता है। इसलिए इन परीक्षाओं के विशिष्ट
पाठ्यक्रमों
को समझने के लिए स्टूडेन्ट को व्यावसायिक तौर पर प्रशिक्षित
अध्यापकों
से कोचिंग लेनी पड़ रही है। यूं तो कुछ परीक्षाओं के लिए ट्यूशन
लाजबी
है लेकिन आज हमारे यहां बच्चों को ट्यूशन
दिलवाने
का फैशन
चल निकला है। आजकल एल.के.जी और यू.के.जी तक के बच्चों को अभिभावक ट्यूशन
दिलवा
रहे है। प्राइवेट ट्यूशन
के बढ़ते चलन से आज अभिभावकों
की आय पर जोरदार चपत लग रही है।
नेशनल
सैंपल
सर्वे
ऑर्गेनाइजेशन
के एक सर्वे के अनुसार भारत में करीब 7.1 करोड विधार्थी कोचिंग क्लासेज या ट्यूशन
में जाते है जो देश
के विधार्थी की कुल संख्या का 26 फीसदी है। इनमें से 4.1 करोड़ लड़के और 3 करोड़ लड़कियां है।
हमारे
यहां
आज ट्यूशन
अलग-अलग प्रकार से दी जा रही है। बहुत से अध्यापक बच्चों को कक्षा और विषय के अनुसार समूहों में विभाजित कर अपने घर बुला कर ट्यूशन
दे रहे है, बहुत से अध्यापक सप्ताह में दो या तीन दिन कोई विशेष
विषय पर बच्चों को ट्यूशन दे रहे है। आज अध्यापकों से इतर ऐसे बहुत से लोग है जो स्कूल आदि में नहीं पढ़ाते, कुछ अन्य कार्य करते हैं वे भी अतिरिक्त समय में बच्चों को ट्यूशन देकर अच्छी-खासी आमदनी कर रहे है।
दरअसल
पहले ट्यूशन
शिक्षा
के अंतर्गत एक विशेष
सुविधा
के रूप में होता था पर समय के साथ यह एक अनिवार्य व्यवस्था का रूप लेती जा रही है। आज हर तबके के लोग अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक अपने बच्चों को निजी ट्यूशन
भेजने
लगे है। आज
देश
में निजी ट्यूशन
का कारोबार तेजी से बढ रहा है। हालांकि
ऐसा नहीं कि ट्यूशन
का चलन हमारे यहां अकस्मात हुआ है। पहले भी देश
में अध्यापकों द्वारा बच्चों को निजी ट्यूशन
देने का चलन था। लेकिन कोरोना के चलते बीते दो साल में बच्चों की बुनियाद मजबूत करने के लिए अभिभावकों द्वारा बच्चों को ट्यूशन
पर तेजी से भेजा जाने लगा है।
हालांकि हमारे
यहां आज ट्यूशन
का चलन बढ़ रहा है। लेकिन फिर भी बच्चों के लिए किसी अच्छे ट्यूटर की तलाश
करना और फिर बच्चों को उसके पास भेजना आज भी मुश्किल
काम है। वैसे बच्चों को ट्यूशन
पर भेजने की आदत उपयुक्त है या नहीं यह बहस का विषय है लेकिन फिर भी किसी मजबूरी के चलते अभिभावकों को अपने बच्चों को ट्यूशन
पर भेजना पड़े तो उन्हें अनेक सावधानी रखना आवश्यक है
।
अभिभावकों
को बच्चों को किसी भी ट्यूटर के पास भेजने से पहले ट्यूटर के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। साथ ही बच्चे जब भी ट्यूशन
पढ़कर आएं उनसे ट्यूटर के व्यवहार के बारे में जरूर जाने कि बच्चों को ट्यूटर कैसे पढ़ा रहा है, बच्चों को उसका पढ़ाया समझ आ रहा है या नहीं। अभिभावकों को समय-समय पर बच्चों के ट्यूटर से मिलते रहना चाहिए। इससे बच्चों के व्यवहार तथा उसकी अन्य गतिविधियों के बारे में अभिभावकों को पता चल सकेगा।
अभिभावकों
को बच्चे की ट्यूटर से संबंधित किसी भी समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा समस्या का तुरन्त समाधान करना चाहिए। वैसे अभिभावकों को अपने बच्चों को पूरी तरह से ट्यूटर के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। खुद भी बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
वीरेश दत्त माथुर , 119/ 126, मानसरोवर, जयपुर, vireshdutt.mathur@gmail.com